साईं तेरी याद
बाजार से खरीदी गयी
मूर्ति यदि धन देती है,
लोग कहते है कि फिर
वह बेची क्यों जाती है ?
तुम्हे किसी ने देखा नही
पर जन्म से तुम्हे सुना है,
महसूस करने की शक्ति
आस्था बढ़ाती कई गुना है।
साईँ तेरी याद में आज
मैंने एक जागरण रखा है,
तेरे दर्शन की आशा बमें
मैंने उपवास एक रखा है।
तेरे भौतिक दर्शन पर ही
सुनो उपवास यह टूटेगा,
वरना तेरे सामने ही इस
तेरे भक्त का दम छूटेगा।
दोष तुम्हे ही लोग देंगे
तेरा ही अस्तित्व दावँ पर है,
मेरा क्या मुझे तो जानते
सब एक दिन मरना ही है।
इसी विश्वास के सहारे
मैंने लोगो से कह रखा है,
मेरी आस्था ना हो धूमिल
साईं दर्शन आज पक्का है।
निर्मेष लगायी शर्त लोगो ने
मेरे और तेरे रिश्ते पर,
तुम जीत कर भी हारोगे
भारी मेरी हार तेरे जीत पर।
निर्मेष