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21 Nov 2017 · 1 min read

साइबर कैफ़े

“साइबर कैफे”

एक शाम मै साइबर कैफे गया..किसी काम के सिलसिले में
मेरा पूरा ध्यान अपने कंप्यूटर पर था
तब तक कोई आकर मेरे पड़ोस वाली चेयर पर बैठ गया
मुझे धीमी सी खुशबू आयी और मैंने धीरे से मुड़कर देखा
उसका आधा चेहरा ही दिखा मुझे
पंखे की हवा की वजह से उसकी जुल्फें बिखर कर उसके होठों से उलझ गयी थी
उसने सम्भाला उन्हे..और अचानक उसकी नज़र मुझ से मिल गयी
मै झिझक कर अपनी कंप्यूटर स्क्रीन को देखने लगा
उस वक्त मेरी धड़कन की स्पीड तो इंटरनेट की स्पीड से भी ज्यादा थी
और मेरी उँगलियाँ की बोर्ड पर काँप रहीं थी
तभी एक छींक आ गयी उसे
मानो किसी सुंदर नाजुक फूल को एक हवा का झोंका हिलाकर चला गया हो
और उसने मेरी तरफ़ मुड़कर कहा..सॉरी !
और मुझे लगा बस अब मै गया
तब तक पीछे से छोटू बोला भइया..आपका एक घंटा पूरा हो गया….

©सूरज कुमार मिश्र

Language: Hindi
1 Like · 400 Views
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