साइबर अपराध
साइबर अपराध है बढ़ रहे, बचना कैसे पता नहीं।
जागरूकता है एक उपाय, लुटे कैसे पता नहीं।।
अपराधी का चेहरा कैसा, यह भी हमको पता नहीं।
पढ़ा लिखा और सभ्य लगे वो, अपराधी हो पता नहीं।।
दूर बैठकर लुटे सबको, चेहरा कैसा पता नहीं।
माध्यम देखो कैसे-कैसे, यह भी हमको पता नहीं।।
मेल मोबाइल सोशल अकाउंट, कौन सा होगा पता नहीं।
थोड़ा लालच ज्यादा लालच, माध्यम यह भी पता नहीं।।
सोशल मीडिया और मिलते लालच, यह भी हमको पता नहीं।
जाने में और अनजाने में, शिकार बने हम पता नहीं।।
जागरूकता ही एक उपाय, बचना कैसे पता नहीं।
नए समय के ठग है ये तो, बचना इनसे पता नहीं।।
हनी ट्रैप का लालच हमको, रोज मिले हैं पता नहीं।
घर गृहस्ती की बर्बादी का, कारण यह है पता नहीं।।
साइबर दुनिया बहुत बड़ी है, क्या यह हमको पता नहीं।
अनजान लिंक पर जाओगे तो, फसना तुमको पता नहीं।।
जगो जगाओ जागरूकता फैलाओ, लूटना हमको कभी नहीं।
अपराध कभी भी हुआ कहीं भी, बात करें हम सही सही।।
ओटीपी या नंबर मांगे, डरो नहीं और कहो नहीं।
लिंक तुम्हारे फोन पर भेजा, करो क्लिक तो कहो नहीं।।
1930 है सहायक नंबर, हो अपराध तो कहो यही।
लालच से तुम बच कर रहना, बात सही है बात यही।।
रहे जगे तो बचे रहोगे वरना लूट पीटकर तुम पढ़े रहोगे…..
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“ललकार भारद्वाज”