सांसों के सितार पर
श्वास तेरी सुन प्रिये
तब तलक चलती रहे
मंदाकिनी में जब तलक
वारि जल बहती रहे।
प्रिये मेरी सांसों पर
आज भी अधिकार तेरा
टूट कर जाती बिखर
मिलता न साथ तेरा।
सांसों के सितार पर
प्रेम की धुन बजी
मन के आंगन में
प्यार की बगिया सजी।
उस सितार के तार जैसे
मेरे जीवन की डोर हो
टूटते ही जिसके जैसे
जीवन फिर बोझ हो।
साथ छोड़ने की प्रिये
सोचना भी मत कभी
सह न पाएंगे विरह
जायेंगे हम जल तभी।
सांस तेरे जीवन की यदि
कम पड़ जाये पिया
सहर्ष ले लेना मेरी भी
धड़कता रहे तेरा जिया।
प्यार जो तेरा मिला
जी लिया मैंने पिया
निर्मेष अब और मुझे
नही जीना सुनो पिया।
निर्मेष