सांसें
आंखों से आंसू टप टप गिर रहे थे
सीने से गमो के तूफान उठ रहे थे
बोटी बोटी इन्सानियत का कत्ल हुआ था
एक जंगली भेड़िये से इन्सान डर रहा था ।
रिश्ता नही था किसी का उससे
सड़क किनारे जो रो रहा था
इन्सानो की बस्ती मे हर कोई
उसे जानवर सा लग रहा था ।
हाथ जोड़कर जीने की भीख
वो मांग रहा था
पैसे जो मेहनत से कमाये थे
उन्हे बचाने के लिए आज जान गंवा रहा था ।
चांद पे जाने वाला इन्सान
लोहे के औजारों से कांप रहा था
धरती पर जिन्दा रहने के लिये
आज अपनी सांसे बचा रहा था ।।
राज विग