सांसें स्याही, धड़कनें कलम की साज बन गई, सांसें स्याही, धड़कनें कलम की साज बन गई, दिल बयानी महज़ रूहानी अल्फाज़ बन गई ©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”