सांवरिया
मोहे भा गयो रे सांवरिया -२
मोहिनी बाकी भोली सुरतिया -२
कमल नयन में कमल खिलत है
अधरन जाके सुमन हंसत हैं
मेरे मन में बसों रे सांवरिया
जिय में डूबे जिया मोरा बन के
जीवन ये चाहूँ अब तेरी बन के
हो गई मैं बाबरिया
प्रीत के गहरे भेद को पाया
जब से तूने मुझे अपनाया
पाई मैंने सच्ची डगरिया