सांप्रदायिक उन्माद
रात-दिन यहां
हिंदू-मुस्लिम करके
कुछ भी हाथ नहीं आएगा!
यह ज़हरीला
माहौल जल्दी ही
सबकी लुटिया डुबोएगा!
तुम लोग
समझ रहे हो जिसे
भाग्य विधाता भारत का!
देखना वही
तुम्हें आख़िरकार
ख़ून के आंसू रुलाएगा!
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