सांप्रदायिक उन्माद
जब ‘राम-राम’ कहता हूं मैं
तो ‘मरा-मरा’ हो जाता है!
अब कोई तो समझाए मुझे
आख़िर यह क्या माजरा है!!
किस पर कोई लानत भेजे
और किसकी तारीफ़ करे!
खाकी से लेकर खादी तक
अवाम के ख़ून में लिथड़ा है!!
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