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9 Oct 2022 · 1 min read

सांप्रदायिकता का ज़हर

झील में इसका
ज़हर घुलने लगा है!
हर जीव का दम
इसमें घुटने लगा है!!
वक़्त रहते ही इसे
फेंक दो उखाड़ कर!
यह कमल का फूल
अब सड़ने लगा है!!
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#महंगाई #WomensMarch #क्रांति
#इंकलाब #जनता #बेरोजगारी #कवि
#सांप्रदायिकता #Secular #विपक्ष

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