साँस-साँस में घुला जहर है।
सजल
साँस-साँस में घुला जहर है|
आंशिकत हर नारी-नर है||
आगे पाँव बढ़ाएं कैसे|
पथरीली कंटकित डगर है||
मिलजुल कर रहना सब सीखें।
पूरा विश्व हमारा घर है||
दौड़ रहे क्यों धन के पीछे।
जग में कोई कहाँ अमर है ।।
घोटालों पर बहस छिड़ गई|
लगता नेताजी को डर है||
जीवित सेवा कर पितरों की।
उचित यही सच्चा अवसर है।।
ऊँचा उड़ा जा रहा पक्षी।
देखो उसका टूटा पर है।।
पूनम गुप्ता
कायमगंज( फर्रुखाबाद)
उत्तर-प्रदेश