*साँस न वापस आती (गीत )*
साँस न वापस आती (गीत )
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कभी कभी यह भी होता है ,साँस न वापस आती
(1)
कितनी सस्ती होती साँसें ,मुफ्त हर समय पाते
बिना यत्न के साँस ले रहे ,और छोड़ते जाते
नहीं खरीदारी पैसों से , साँसों की हो पाती
(2)
साँसों का सब खेल चल रहा ,इसकी ताकत जानो
यह अनमोल मिली हैं इसकी कीमत को पहचानो
साँसों की सुर-ताल धन्य वह ,जिनके मन को भाती
(3)
कभी-कभी दो साँसें लेना ,एक युद्ध हो जाता
लगता ज्यों ऊँचे पर्वत पर ,चढ़ने से हो नाता
क्रिया सहज यह साँसों-वाली ,उस क्षण रही डराती
कभी-कभी यह भी होता है ,साँस न वापस आती
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451