साँसों में बसी खश्बू है तेरी –आर के रस्तोगी
साँसों में बसी खश्बू है तेरी ,
साँसों में बसी खश्बू है तेरी |
बाहों में तू ले ले ,
बाहों में तू ले ले ||
भूल जायंगे गम है सारे ,
टूट जायेगे आसमा से तारे |
सारी जन्नत यहाँ पर होगी ,
सारी इच्छाये यहाँ पूरी होगी ||
फिर कोई तमन्ना न होगी ,
मेरी मौत तेरे साथ ही होगी |
अगर तू मुझे बाहों में उठा ले
साँसों में —–
सारे दिन तेरा इंतजार हूँ करती |
दोनों आँखों से तुझको हूँ तकती ||
जी नहीं लगता है अब मेरा |
कब लगाओगे तू यहाँ फेरा ||
शाम से मै तड़फती रहती |
रात के लिये मै आहें भरती ||
अब तू मेरा चुम्बन ले ले |
अब तू मेरा चुम्बन ले ले ||
साँसों में बसी खशबू है तेरी —-
रात होगी तो सुबह भी होगी |
अलसाई सी मेरी आँखे होगी ||
सारे दिन तेरा सरुर ही होगा |,
आँखों में तेरा चेहरा ही होगा ||
देखना तब चाल मस्तानी मेरी |
आने में अब तू करना ना देरी ||
आकर मुझे छाती से लगा ले |
आकर मुझे छाती से लगा ले ||
साँसों में बसी —
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम