शिक्षामित्रों की लाशों पर…
शिक्षामित्रों की लाशों पर…
●★●★●★●★●★●★●★●★●★
शिक्षामित्रों की लाशों पर जी भर के रंगोली खेलो
साँसों की दरकार इधर है तेरा क्या है होली खेलो
★★★
रोज हमारे तन की लाली
हो जाती है गम से काली
पीले-पीले मुखड़े देखो
जैसे मुरझाई हो डाली
रोजी-रोटी छीन लिए हो अब सीने पर गोली खेलो-
साँसों की दरकार इधर है तेरा क्या है होली खेलो
★★★
रोज साथियों के मरने से
अंदर तक हम भी मरते हैं
त्योहारों की बात न करना
त्योहारों से हम डरते हैं
हमें मुबारक मत कहना तुम बना बना के टोली खेलो-
साँसों की दरकार इधर है तेरा क्या है होली खेलो
★★★
हमको हिन्दू कहने वाले
कब होते हो दुख में शामिल
जाओ जाओ जश्न मनाओ
मेरे यारों के ऐ कातिल
तुम तो तिकड़म के राजा हो जनता तो है भोली, खेलो-
साँसों की दरकार इधर है तेरा क्या है होली खेलो
– आकाश महेशपुरी