#साँवली सलोनी तुम
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★ #साँवली सलोनी तुम ★
साँवली सलोनी तुम
मीठी मेरी माँ जैसी
नयन झरोखे आने वाला कल
चितवन पहली हाँ जैसी
साँवली सलोनी तुम . . . . .
राजाज्ञा हो कि विधि का खेला
बाधित मैं भुगतान को
रक्तिम सूरज भीनी भीनी निशि
शापित हैं अवसान को
श्यामल श्यामल कर पल्लव सखा
तपती दुपहरी कटि है छाँह जैसी
साँवली सलोनी तुम . . . . .
शुक्र बुध गुरुघर बैरी
सुख देकर मति हर लीनो
अंधियारा प्रताप शनि का
द्रुतगति इंदु सुख कर दीनो
अलकावलियां आरोग्य मेरे अंगना
कनकीली ग्रीवा मदिर सुतवां जैसी
साँवली सलोनी तुम . . . . .
भिक्षुक भक्षक तक्षक बहुरंगी
अब के राजा कंत नहीं
चरण पखारें कृपा निहारें मछली
अब कोई बगुला संत नहीं
तेरी मेरी मय्या बड़भागन
देवालय दीपक बत्तियां जैसी
साँवली सलोनी तुम . . . . .
प्रेमप्रसंग बीच जग जगती की
मन मेरा लाचार सुनो
ऋतुएं आती जाती राजा
नहीं डरना मरना अबकी बार चुनो
पीयूषयुगल मध्य हे संगिनी
सोंधी समीर अपने गांव जैसी
साँवली सलोनी तुम . . . . .
श्यामा तुम संग मिल ही गया मैं
भस्म रचाई सपनों की
अनजाने क्या जाने पहचाने
है यह खरी कमाई अपनों की
पितर मेरे मुझसे संतोषी
कुलवधू तलहीन कुआं जैसी
साँवली सलोनी तुम . . . . . !
९४६६०-१७३१२
#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
#टिप्पणी :
किसी ने कहा था कि उर्दू की सहायता के बिना हिंदी फिल्मों के गीत लिखे ही नहीं जा सकते। तब कवि गोपालदास नीरज जी ने कुछ फिल्मों में ऐसे गीत लिखे जिनमें उर्दू भाषा से कोई शब्द नहीं था।
और, यहां हम कुछ ऐसे ही गीत प्रस्तुत करेंगे जिनमें आपको हिंदी और केवल हिंदी ही मिलेगी।
आपकी टिप्पणी निश्चित ही हमारा उत्साहवर्धन व मार्गदर्शन करेगी।
धन्यवाद !
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