साँवरिया भजन अरविंद भारद्वाज
साँवरिया
श्याम नाम को लिए बिना, मनै नींद चैन नहीं आवै रै
खाटू वाले बाबा का मन, दर्शन करना च्हावै रै
काम-काज घर मैं इतना, मनै फुर्सत नहीं मिल पावै रै
श्याम भक्त इस गली तै बाबु, रोज घने ये जावै रै
कब तक दुखडा यो ठावैगा, मनै रोक नही तू पावैगा
बाबू श्याम ही कष्ट मिटावेगा,बेड़ा अपणा पार लगावैगा
झण्डा लेकै बाबू खाटू, नर – नारी सब जारै रै
जोत जलावै बाबा की अर, झूला सिर पै ठारै रै
नैया अपणी पार लगायेंगा, सब बिगड़े काम बणावैगा
बाबू श्याम ही कष्ट मिटावैगा,बेड़ा अपना पार लगावैगा
हारे का यो एक सहारा, इसकी महिमा न्यारी रै
साँवरिया यो कहलाया अर, सूरत इसकी प्यारी रै
साँवरा भक्त भजन सुनावैगा,लिख अरविन्द सबनै बतावैगा
बाबू श्याम ही कष्ट मिटावैगा, बेड़ा अपणा पार लगावैगा
© अरविंद भारद्वाज