#कुंडलिया//
झूठ तभी बस बोलिये , सच की बचती जान।
सौ सच से बढ़कर बने , वो ही झूठ महान।।
वो ही झूठ महान , दुवाएँ सबकी मिलती।
कलियाँ बनके फूल , चमन जीवन में खिलती।
सुन प्रीतम की बात , बुराई छोड़ो लो हँस।
सभी हेतु बन नेक , कभी दुख मत देना बस।
मालिक सच का साथ दे , रखे दुखों से दूर।
इम्तिहान लेता रहे , करता सफल हुज़ूर।।
करता सफल हुज़ूर , कभी मत रोना डरना।
रब का लेकर नाम , समर जीवन का लड़ना।
सुन प्रीतम की बात , चले होकर निडर पथिक।
राहों के सब शूल , फूल कर देता मालिक।
#आर.एस. ‘प्रीतम’