साँईं रोशन जी
******साँईं शाह रोशन जी*****
**************************
शाह रोशन जी जैसा न साँईं कोई
शीत छाया मिली,प्रेमी हुए हरजाई
नूर ए नजर ऐसी,बाँधे प्रेम डोर में
दीदार हुजूर के ऐसी जन्नत न कोई
शाह मस्ताना के आप चेताये हुए
आप हमारे हुए,जागी किस्मत सोई
जनमानस को जिसने जागृत किया
आप जैसा जग में नहीं सानी कोई
घरबार तज के जीवन निसार दिया
भांतु समाज सुधारा न बेमानी कोई
डेरा राय सिंह नगर में ठिकाना बना
वहाँ जैसा नजारा न है नजारा कोई
समाज सुधारक बन ऐसे कार किए
अब तक नहीं देखा है निरंकार कोई
अंधेर नगरी में उजियारा कर दिया
जुगनू जैसे हो आप संवाहक मोही
मनसीरत तेरे दर का दीवाना हुआ
आप मुरशिद मेरे,मै था भटका राही
****************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)