सही सलामत आपकी, गली नही जब दाल
सही सलामत आपकी,गली नही जब दाल l
राजनीति की खेल दी, नई और इक चाल I
नई और इक चाल, . देश टूटे तो टूटे ।
मजहब का इक और , नया गुब्बारा फूटे।
इन्हें नहीं ये ज्ञान, आ गई अगर कयामत ।
नहीं रहेगी कौम, एक फिर सही सलामत ।।
रमेश शर्मा