Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 May 2024 · 1 min read

सही ग़लत का फैसला….

किसी गम्भीर मुद्दे पर तर्कहिन संवाद,
बिगाड़ देता है जिव्हा की लय।
थरथराते होठ शब्दो की सार्थकता खो बैठते है,
कहना कुछ चाहते है उच्चारण गलत कर बैठते है।
शब्द साथ छोड देते है धड़कन बंद हो जाती है,
आत्म विश्वाश खो बैठते है सही गलत के फेर में।

आत्मग्लानि होती है बाद में पछतावा भी होता है,
पर अहं हावी हो जाता है।
शब्दकोष खाली लगता है गलत को गलत कहने में,
सही गलत के चक्कर मेंविश्वाश ही खो बैठते है।
ता उम्र उदासी के सिवाय कोई चारा ही नही होता,
मन मे खलल होता है, सही गलत के फेर में ।।

59 Views
Books from SATPAL CHAUHAN
View all

You may also like these posts

आपका ही ख़्याल
आपका ही ख़्याल
Dr fauzia Naseem shad
पन्द्रह अगस्त
पन्द्रह अगस्त
राधेश्याम "रागी"
زخم اتنے مل چکے ہیں تتلیوں س
زخم اتنے مل چکے ہیں تتلیوں س
अरशद रसूल बदायूंनी
टेढ़ी-मेढ़ी बातें
टेढ़ी-मेढ़ी बातें
Surya Barman
☝️      कर्म ही श्रेष्ठ है!
☝️ कर्म ही श्रेष्ठ है!
Sunny kumar kabira
रास्ता उन्होंने बदला था और ज़िन्दगी हमारी बदल गयी थी,
रास्ता उन्होंने बदला था और ज़िन्दगी हमारी बदल गयी थी,
Ravi Betulwala
उनकी आंखों में भी
उनकी आंखों में भी
Minal Aggarwal
मुक्तक
मुक्तक
नूरफातिमा खातून नूरी
प्यार बिना सब सूना
प्यार बिना सब सूना
Surinder blackpen
ग़म
ग़म
Shutisha Rajput
द्वापर में मोबाइल होता
द्वापर में मोबाइल होता
rkchaudhary2012
जेठ सोचता जा रहा, लेकर तपते पाँव।
जेठ सोचता जा रहा, लेकर तपते पाँव।
डॉ.सीमा अग्रवाल
धरोहर
धरोहर
Karuna Bhalla
प्यारी माँ
प्यारी माँ
Rajesh Tiwari
हमें अपने स्रोत से तभी परिचित होते है जब हम पूर्ण जागते हैं,
हमें अपने स्रोत से तभी परिचित होते है जब हम पूर्ण जागते हैं,
Ravikesh Jha
“सुकून”
“सुकून”
Neeraj kumar Soni
विश्व कविता दिवस
विश्व कविता दिवस
विजय कुमार अग्रवाल
श्रद्धाञ्जलि
श्रद्धाञ्जलि
Saraswati Bajpai
- गहरी खामोशी -
- गहरी खामोशी -
bharat gehlot
जब लोग आपसे खफा होने
जब लोग आपसे खफा होने
Ranjeet kumar patre
नारी वेदना के स्वर
नारी वेदना के स्वर
Shyam Sundar Subramanian
बहुत ही हसीन तू है खूबसूरत
बहुत ही हसीन तू है खूबसूरत
gurudeenverma198
कुछ लिखूँ.....!!!
कुछ लिखूँ.....!!!
Kanchan Khanna
"मिर्च"
Dr. Kishan tandon kranti
टूटा दर्पण नित दिवस अब देखती हूँ मैं।
टूटा दर्पण नित दिवस अब देखती हूँ मैं।
लक्ष्मी सिंह
किसान
किसान
Dp Gangwar
निर्गुण
निर्गुण
Shekhar Chandra Mitra
हर शख्स नहीं होता है तुम जैसा
हर शख्स नहीं होता है तुम जैसा
Jyoti Roshni
*चंद्रमा की कला*
*चंद्रमा की कला*
ABHA PANDEY
चाहकर भी जता नहीं सकता,
चाहकर भी जता नहीं सकता,
डी. के. निवातिया
Loading...