सहारा
सहारा
बनो तो सहारा तुम उनका बनो ,
जिनका कोई जहां में होता नहीं।
मजारों पे चादर चढ़ते हर दिन ,
गरीबों को चादर दिलाया करो।
दान का दौलत दौलतवाले पाते,
भूखे बेघर को देख आया करो।
बनो तो सहारा तुम उनका बनो ,
जिनका कोई जहां में होता नहीं।
तेरा दौलत महल सारे बेकार हैं,
संग कुछ भी तेरे नहीं जायेगा ।
जो जाये तेरे संग कर याद उसे,
याद तेरी करें तेरे जाने के बाद ।
बन सहारा किसी बहना का तू ,
बन सहारा किसी बूढ़ी मैया का ।
संग कुछ नही गर नहीं जाना तो,
कैसा झगड़ा है आपस का तेरा।
मानव है तू मानव सरीखा ही रह ,
राक्षसीवेश धारण करता है क्यों।
बनो तो सहारा तुम उनका बनो ,
जिनका कोई जहां में होता नहीं ।
. डॉ. सरला सिंह
दिल्ली