सहारा…
…..सहारा….
लड़ा नही जाता अब हालातो से
अब टूटते हुए सपनो के टुकड़ों को
संभाला नही जाता
मां की ममता का स्नेह अब
बताया नही जाता
अब बस दुआ वों का सहारा है
मन्नतो का आसरा है
वक्त के साये तले
हर शक्स का बेनकाब चेहरा है
अपनी तन्हाई में अब हम
टूटते हुए मोती मंजूर नहीं करते
लड़खड़ाते कदम हम कुबूल नही करते
चमकती थी आंखे कुछ ख्वाब के लिए
अब ये हालात हम मंजूर नहीं करते
अब खुदासे से यह राह फिरसे कुबूल नही करते
टूटते हुए सितारों का
अब बस आसमा सहारा है
चमकते हुए तारो का
उजाला भी अब गहरा है
अब हालातों से लड़ा नही जाता
अब बस दुआ वों का सहारा है
…………………. ……
नौशाबा जिलानी सुरिया