सहानुभूति
सहानुभूति (पंचचामर छंद)
सहानुभूति दिव्य भावना असीम मान्यता।
सदैव मान्य दिव्य धाम योगिनी मनुष्यता।
अपार धर्म कर्म योग पुण्य क्षेत्र गामिनी।
सदेह कष्ट नाशिनी विराट ब्रह्मवादिनी।
अनन्य भाव सर्व काम्य दर्द क्लेश खण्डनी।
सहर्ष भेद त्यागनी सदैव प्रेम मंडनी।
महान शिष्ट सत्य कृत्य स्नेह स्तुत्य नम्रता।
सहानुभूति भाव है विचार पर्व सभ्यता।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।