Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Jan 2019 · 2 min read

सहानुभूति है तुझसे


ओ नवजात शिशु
नव वर्ष आ(2)
सुनी तेरी
पहली किलकारी
हर चेहरे पर मुस्कान खिली
तू नव किसलय सा है न
इक नवल कोंपल सा
दुधमुहां है और है अबोध
और इसीलिए तू
भा रहा है, रिझा रहा है
सबको
क्यों कि बंद हैं तेरी नन्हीं रक्तिम मुट्ठी में
असंख्य अनखुले स्वप्न
किन्तु
जैसे जैसे शनैः शनैः
लेगा बढ़त तू
समय के थपेड़े
तेरी कोमल काया को
कर देंगे कलुषित
क्यों कि वक्त किसी को नहीं बख्शता ।
याद है जिस दिन
जन्म हुआ था तेरा
कितनी दावतें कितना हो हल्ला
और उफ! कितने पटाखे चले थे
तेरे पैदा होने की खुशी में
अब धीरे धीरे
यह तेरी पदचाप की थपक
नहीं है
आने वाले वक्त की आहट है यह
धीरे धीरे डराने लगेगी
तेरी कमनीय काया को
कुछ कुछ
हटने लगेगी निगाहें तुझ पर से
वासंती बयारों में तेरा
यौवन जो लहका था
सरसों सा महका था
कुछ अच्छा घटा
तो निखरा तेरा रूप,
वरना जीवन के पूर्वार्द्ध में ही
तू कोसा जाने लगेगा कि…..
देखो कैसा बुरा आया यह साल।
आते ही भूकंप त्रासदी दुर्घटनाएं
आते ही ये… वो… और न जाने क्या क्या
खैर
धूप की तपन व गर्मी में
कुछ कुछ
तन झुलसने लगा तेरा
इसी बीच लोग बने
काल का ग्रास
आकर चपेट में लू की
ताप से जलीं फसलें
इल्ज़ाम सिर्फ तुझ पर….
यह साल कैसा बुरा आया
बर्बादी ही बर्बादी…..
वक्त के थपेड़े से
मर्माहत
तन मन तेरा
यह समझ न पाया
क्या दोष है मेरा
मन की जलन धुंआ बन उठी
घुटन ले रूप घटाओं का
उमड़ घुमड़ कर
आया आँसुओं का सैलाब
बरसा बन बारिश
अब कहर बरपाया
पानी ने
बाढ़.. विप्लव.. तो कहीं
अल्प वृष्टि..
दोष
यह साल बुरा ही निकला…
इसी उहापोह में
जिन्दगी मुरझा गयी
और जीवन की शाम आ गयी।
सबसे अपनी धुन में मस्त
किसी को तुझसे क्या लेना देना
वो तो करना हो दोषारोपण
तब आती है याद तेरी…
हां कुछ अपवाद
होते हैं हर जगह
जो मानते हैं तुझे शुभ…
अपनी उपलब्धि पर।
पर नगण्य है संख्या
ऐसी विभूतियों की…
चलो….
जैसे तैसे
जीवन की अंतिम बेला
भी आ ही पहुँची
और विधि का विधान
अवश्यम्भावी है……
कहकर
तुझे दिया ढकेल
अनंत अंधकार में….
लेते हुए यह निष्कर्ष कि क्या क्या तुझसे
हासिल कर पाया यह स्वार्थी मानव।
परिस्थितियों और भाग्यवश
यदि हुआ अच्छा कुछ हासिल
तो मानता कि भाग्य मेरा
यदि बुरा हो हासिल
तो तू बुरा…..
यह है दुनिया
और यही है रीत इस जग की।
अब जबकि सम्मुख है एक नववर्ष…..
क्या काम अब पुराने का ?
आने वाले का बोलबाला
जाने वाले का मुंह काला
यह था प्रारब्ध तेरा……
और यही है नियति तेरी।

रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
©

Language: Hindi
195 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
एक सही आदमी ही अपनी
एक सही आदमी ही अपनी
Ranjeet kumar patre
उसी वक़्त हम लगभग हार जाते हैं
उसी वक़्त हम लगभग हार जाते हैं
Ajit Kumar "Karn"
कभी ख़ुशी कभी ग़म
कभी ख़ुशी कभी ग़म
Dr. Rajeev Jain
"सपनों में"
Dr. Kishan tandon kranti
कोशिश है खुद से बेहतर बनने की
कोशिश है खुद से बेहतर बनने की
Ansh Srivastava
सत्य की खोज
सत्य की खोज
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Life is too short
Life is too short
samar pratap singh
उफ्फ,
उफ्फ,
हिमांशु Kulshrestha
छाले पड़ जाए अगर राह चलते
छाले पड़ जाए अगर राह चलते
Neeraj Mishra " नीर "
लोकतंत्र बस चीख रहा है
लोकतंत्र बस चीख रहा है
अनिल कुमार निश्छल
उसकी हिम्मत की दाद दी जाए
उसकी हिम्मत की दाद दी जाए
Neeraj Naveed
3138.*पूर्णिका*
3138.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वफ़ा की परछाईं मेरे दिल में सदा रहेंगी,
वफ़ा की परछाईं मेरे दिल में सदा रहेंगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
फ़ितरत
फ़ितरत
Dr.Priya Soni Khare
ना मंजिल की कमी होती है और ना जिन्दगी छोटी होती है
ना मंजिल की कमी होती है और ना जिन्दगी छोटी होती है
शेखर सिंह
गांव गली के कीचड़, मिट्टी, बालू, पानी, धूल के।
गांव गली के कीचड़, मिट्टी, बालू, पानी, धूल के।
सत्य कुमार प्रेमी
..
..
*प्रणय*
जीवन चक्र
जीवन चक्र
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
*मेरा विश्वास*
*मेरा विश्वास*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
इश्क की वो  इक निशानी दे गया
इश्क की वो इक निशानी दे गया
Dr Archana Gupta
कठिन काल का काल है,
कठिन काल का काल है,
sushil sarna
In today's digital age, cybersecurity has become a critical
In today's digital age, cybersecurity has become a critical
bandi tharun
उनको शौक़ बहुत है,अक्सर हीं ले आते हैं
उनको शौक़ बहुत है,अक्सर हीं ले आते हैं
Shweta Soni
गोंडवाना गोटूल
गोंडवाना गोटूल
GOVIND UIKEY
रास्तों पर नुकीले पत्थर भी हैं
रास्तों पर नुकीले पत्थर भी हैं
Atul "Krishn"
तेरी पुरानी तस्वीरें देखकर सांसें महक जातीं हैं
तेरी पुरानी तस्वीरें देखकर सांसें महक जातीं हैं
शिव प्रताप लोधी
खुशी की खुशी
खुशी की खुशी
चक्षिमा भारद्वाज"खुशी"
*कितनी बार कैलेंडर बदले, साल नए आए हैं (हिंदी गजल)*
*कितनी बार कैलेंडर बदले, साल नए आए हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
आजादी का पर्व
आजादी का पर्व
Parvat Singh Rajput
फिर आओ की तुम्हे पुकारता हूं मैं
फिर आओ की तुम्हे पुकारता हूं मैं
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
Loading...