Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Feb 2018 · 2 min read

सहभागी बनें

एक बार एक अध्यापक कक्षा में पढ़ा रहे थे अचानक ही उन्होंने बच्चों की एक छोटी सी परीक्षा लेने की सोची । अध्यापक ने सब बच्चों से कहा कि सब लोग अपने अपने नाम की एक पर्ची बनायें । सभी बच्चों ने तेजी से अपने अपने नाम की पर्चियाँ बना लीं और टीचर ने वो सारी पर्चियाँ लेकर एक बड़े से डब्बे में डाल दीं ।

अब सब बच्चों से कहा कि वो अपने अपने नाम की पर्चियां ढूंढे । फिर क्या था , सारे बच्चे डब्बे पे झपट पड़े और अपनी अपनी पर्चियां ढूंढने लगे और तेजी से ढूंढने के चक्कर में कुछ पर्चियां फट भी गयीं पर किसी को भी इतनी सारी पर्चियों में अपने नाम की पर्ची नहीं मिल पा रही थी ।

टीचर ने कहा – क्या हुआ किसी को अपने नाम की पर्ची मिली , सारे बच्चे मुँह लटकाये खड़े थे । टीचर हल्का सा मुस्कुराये और बोले – कोई बात नहीं , एक काम करो सारे लोग कोई भी एक पर्ची उठा लो और वो जिसके नाम की हो उसे दे दो । बस फिर क्या था , सारे बच्चों ने एक एक पर्ची उठा ली और जिसके नाम की थी आपस में एक दूसरे को दे दी , 2 मिनट के अंदर सारे बच्चों के पास अपने अपने नाम की सही सही पर्चियां थीं ।

अध्यापक ने बच्चो को समझाया – कुछ देर पहले जब तुम लोग अपनी अपनी पर्चियां ढूंढ रहे थे तो काफी समय बाद भी सही पर्ची नहीं पकड़ पाये और अगले ही पल जैसे ही मिलकर पर्चियां ढूढ़ी 2 मिनट के अंदर ही मिल गयी|

इसी तरह हम लोग जीवन की भाग दौड़ में अकेले ही खुद के लिए भागते रहते हैं लेकिन कभी खुशियां नहीं ढूढ पाते अगर हम मिलकर एक दूसरे का काम करें एक दूसरे के दुःख और सुख बाटें तो खुश रहना बहुत आसान हो जायेगा । किसी महापुरुष ने कहा है कि अगर आप खुश रहना चाहते हैं तो कोशिश करें की दूसरे लोग आपसे खुश रहें ।

Language: Hindi
370 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
I love you ❤️
I love you ❤️
Otteri Selvakumar
थोङी थोड़ी शायर सी
थोङी थोड़ी शायर सी
©️ दामिनी नारायण सिंह
Red is red
Red is red
Dr. Vaishali Verma
"साथ-साथ"
Dr. Kishan tandon kranti
संवाद और समय रिश्ते को जिंदा रखते हैं ।
संवाद और समय रिश्ते को जिंदा रखते हैं ।
Dr. Sunita Singh
तुम्हारी कहानी
तुम्हारी कहानी
PRATIK JANGID
221 2121 1221 212
221 2121 1221 212
SZUBAIR KHAN KHAN
ख़ुद से बचकर कोई जाए
ख़ुद से बचकर कोई जाए
Dr fauzia Naseem shad
*
*"रोटी"*
Shashi kala vyas
धुंध इतनी की खुद के
धुंध इतनी की खुद के
Atul "Krishn"
नये अमीर हो तुम
नये अमीर हो तुम
Shivkumar Bilagrami
कभी लौट गालिब देख हिंदुस्तान को क्या हुआ है,
कभी लौट गालिब देख हिंदुस्तान को क्या हुआ है,
शेखर सिंह
खोजने लगी वो सुख का खज़ाना,
खोजने लगी वो सुख का खज़ाना,
Ajit Kumar "Karn"
उम्मीद की नाव
उम्मीद की नाव
Karuna Goswami
"" *आओ करें कृष्ण चेतना का विकास* ""
सुनीलानंद महंत
सीख
सीख
Adha Deshwal
😊 लघुकथा :--
😊 लघुकथा :--
*प्रणय*
मंद बुद्धि
मंद बुद्धि
Shashi Mahajan
Midnight success
Midnight success
Bidyadhar Mantry
पिछले 4 5 सालों से कुछ चीजें बिना बताए आ रही है
पिछले 4 5 सालों से कुछ चीजें बिना बताए आ रही है
Paras Mishra
जीव-जगत आधार...
जीव-जगत आधार...
डॉ.सीमा अग्रवाल
विचार, संस्कार और रस [ तीन ]
विचार, संस्कार और रस [ तीन ]
कवि रमेशराज
2813. *पूर्णिका*
2813. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
शीर्षक – ऐ बहती हवाएं
शीर्षक – ऐ बहती हवाएं
Sonam Puneet Dubey
इन्तिज़ार,
इन्तिज़ार,
हिमांशु Kulshrestha
कद्र माँ-बाप की जिसके आशियाने में नहीं
कद्र माँ-बाप की जिसके आशियाने में नहीं
VINOD CHAUHAN
*हीरे की कीमत लगी, सिर्फ जौहरी पास (कुंडलिया)*
*हीरे की कीमत लगी, सिर्फ जौहरी पास (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
अमृत मयी गंगा जलधारा
अमृत मयी गंगा जलधारा
Ritu Asooja
जाने क्या-क्या कह गई, उनकी झुकी निग़ाह।
जाने क्या-क्या कह गई, उनकी झुकी निग़ाह।
sushil sarna
इंतहा
इंतहा
Kanchan Khanna
Loading...