‘सहज’ के दो मुक्तक
1.
मुक्तक :
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कर्म में विस्वाश कर.
तनिक दिल में धीर धर.
राह कितनी भी कठिन,
ध्यान केवल लक्ष्य पर.
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2.
कर्म बिना है, फल नहीं.
सिर्फ ‘आज’ है, ‘कल’ नहीं.
रिश्तों में बस प्रेम ही,
जाति-धर्म या दल नहीं .
@डॉ.रघुनाथ मिश्र ‘सहज’
अधिवक्ता/साहित्यकार
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संपर्क :3-k-30,तलवंडी,कोटा-324005 (राजस्थान)
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