ससुराल गेंदा फूल
ससुराल गेंदा फूल
मायके मस्ती जाओ भूल
यहां के है भई अलग रूल
मम्मीजी की वाणी के त्रिशूल
चुभते जैसे पैनै शूल
पापाजी की मुस्कराते फूल
हो जाते हम मन से कूल
पति जी भुलक्कड़ करते भूल
रहते कामकाज में मशगूल
ऐनटैन मटका नैन ननद मचे चुल्ल
नापसंद सब लगता कहे यह सब धूल
जबकि हम मेहनत करते भरपूर
क्या कहें.. ससुराल गेंदा फूल….
बेटी का मायका रहता है जी दूर
ससुराल में आना होगा यही है रूल
होता ऐसा है जी,, ससुराल गेंदा फूल.
-सीमा गुप्ता अलवर राजस्थान