सशक्त नारी (कविता)
वीरांगना जैसे गुणों से करो परिपूर्ण नारी को।
हर इंसा करे सम्मान वो पहचान दो नारी को।।
नारी का अपमान न कर पाये कोई दुष्ट, दानव।
दुर्गा, काली जैसे गुणों से परिपूर्ण कर दो नारी को।।
जिये न कोई नारी अब जग में सिसक-सिसककर।
स्वतंत्र पक्षी जैसे उड़ने को वो आकाश दो नारी को।।
बहाये न कोई नारी आंसू जग की किसी पीड़ा से।
मुस्कराने की पूर्ण आजादी प्रदान कर दो नारी को।।
न हो किसी राह पर अब नारियों का अपमान।
आत्मरक्षा का सशक्त विचार प्रदान कर दो नारी को।।
जग में जिये नारी अपना जीवन पूर्ण आत्मविस्वास से।
खुलकर जीने का एक विस्वास प्रदान कर दो नारी को।।
भय मुक्त होेकर जग में जिये नारी अपना जीवन।
नारी शक्ति की एक ऐसी मिशाल बना दो नारी को।।
देखकर विराट, ललाट रूप नारी का दानव कापें थर-थर।
ललाट, विक्राल स्वरूप की एक मिशाल बना दो नारी को।।
ममता, प्रेम और प्रीती झलकती है जिसके स्वभाव से।
वीरांगना जैसी नवयुगलन छवि प्रदान कर दो नारी को।।
करे हर परिस्थिति का डटकर मुकाबला नारी।
हिम्मत और जज्बे की नई पहचान बना दो नारी को।।
करे नारी भी नवयुग निर्माण में अपनी भूमिका अदा।
कदम से कदम मिलाने को वो अधिकार दो नारी को।।
नारी बने नवयुग निर्माण की आदर्श प्रेरणा।
युग निर्माण का मंगल सन्देश बना दो नारी को।।
मायूस न होे किसी परिस्थिति में नारी का चेहरा।
नारी सशक्तिकरण का ऐसा अध्याय बना दो नारी को।।
आकाश, धरती और वायु में गूंजे एक ही आवाज।
नई सुबह का मंगल सन्देश बना दो नारी को।।