सवैया
दुर्मिल सवैया
जब से तुझसे इकरार हुआ मन में मधु धार बहा करता।
तुम हो प्रिय मानव सभ्य सदा शुभ भाव स्वभाव मनोहरता।
विनती तुझसे इतनी बस है यह पावन बंधन सत्य रहे।
यह ईश्वर का वरदान महा अति उत्तम स्नेहिल अर्थ गहे।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।