सवैया
सुंदरी सवैया
छवि बाल सुधा निरखे अँखियाँ, मधु पावन सा रस पान करे है।
हरि की मुसकान मनोहर सी,तरु से विभु पुष्प प्रभात झरे है।
मुख चन्द्र निहार निहार लगे,निधि आँचल दिव्य विशाल भरे हैं।
अवधेश सुनो बड़ भागि हुए,हरि गोद लिए सत जन्म तरे है।
कामिनी मिश्रा अनिका कानपुर