सवैया मत्तगयंद छन्द विधान सहित
मत्तगयन्द सवैया
विधान
मत्तगयन्द सवैया 23 वर्णों का छन्द है, जिसमें सात भगण (ऽ।।) और दो गुरुओं का योग होता है। मध्यकालीन एवम।आधुनिक कवियों ने इसका काफ़ी प्रयोग किया है।
विधान- मत्तगयंद सवैया
भगण ×7+2गुरु, 12-11 वर्ण पर यति चार चरण समतुकान्त।
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भारत आहत होय रहा जग ,देख रहा सब की करनी को।
जीवन दर्शन देत रहा जग, वन्दन था करता अवनी को।
आज मचे उतपात जहां ‘मधु,सोच बड़ी जग की जननी को।
फोड़ रहे तन तोड़ रहे मन ,अन्तर है करनी कथनी को।
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कलम घिसाई