सवैया छंद
चकोर सवैया (भगण ऽ।।×7+ गुरु लघु)
खोकर सैनिक मुश्किल है अब,भारत को धरना उर धीर।
काट करें तन के टुकड़े हम, दें रिपु को हर निर्मम पीर।
वापस लें अपनी धरती सब ,हो अब कायम एक नजीर।
जो घुटनों पर बैठ गया जग, है कहता उसको कब वीर।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय