सवैया छंद
?? मत्तगयन्द सवैया ??
✏विधान- ७भ+गु गु
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देखि रहे नैना धर धीरज, तान बजावत जू स्वर-साधा।
बैन मधूमय कानन गूंजत, काटि रहे हिय की सिग व्याधा।
श्याम बिना सुकुमारि अधूरिहिं, कृष्ण-प्रिया बिन श्यामल आधा।
टेरत है शतचन्द्र प्रभा सुर, बैनन-सैन पुकारत राधा।
श्याम सखा हित आजु चलौ सखि, नीर भरें अरु नैन निहारें।
बाँकपनौ लखि लाल-रसालहिं, नैनहिं-नैन निकुंज बिहारें।
रूप-अनूप लखें मुरलीधर, आठहुँ याम सुनाम पुकारें।
आजु ठड़ौ छलिया तट यामुन, नेह भरी उर राह बुहारें।
धेनु चरावत यामुन के तट, बाजि रही मुरली सुखकारी।
मोर पखा धर शीश रिझावत, कान्ह लगै सखि री हितकारी।
सूरतिया मन मोह रही जनु, पूनम चन्द्र निशा उजियारी।
‘तेज’ हिलोर उठें मनवा महँ, देखत सैनन सौं गिरिधारी।
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?तेज✏मथुरा✍