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31 Jul 2023 · 1 min read

सवा सेर

लघुकथा

सवा सेर

“ये क्या रमेश, आज तुम्हारा अठारहवाँ बर्थ डे है। अब तुम बालिग हो गए हो। मैं तो सोच रहा था कि इस बार तुम अपना बर्थ डे बहुत ही धूमधाम से मनाओगे। पर ये रक्तदान का आइडिया…? कुछ अजीब-सा लग रहा है…”
“पापा, आज से जबकि मैं बालिग हो गया हूँ, सो मेरे लिए बड़ों वाला काम करना ही शोभा देगा न। भूल गए आप, पिछले महीने जब आपने अपने पचासवें बर्थ डे पर देहदान का संकल्प पत्र भरा था। अब आपका बेटा रक्तदान करने जा रहा है, तो इसमें अजीब-सा क्या है ?”
बेटे की बात सुनकर पिता जी की आँखों में आँसू आ गए। उन्हें अपने बेटे की ऐसी सोच पर गर्व महसूस हो रहा था।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़

Language: Hindi
1 Like · 322 Views
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