सवाल हमेशा उठेंगे।
सवाल हमेशा ही उठेंगे- जब तुम कुछ अच्छा करो तब भी सवाल, बुरा करो तो सवाल सवालों का सिलसिला कभी नहीं थमेगा! असली सवाल ये है कि क्या तुम उठ गए हो अपने मूल आवरण से? तुमने खुशियों में हँसना और दुखों में रोना बंद कर दिया? क्या तुम अच्छे/बुरे जैसी छोटी सोच से ऊपर उठ चुके हो? कोई बुरा कहे और तुम उतावले न हो, तुम बस मौन रहो, तन से भी मौन और मन से भी। जब कभी ऐसा समय आएगा तब तुम असल ज़िंदगी ज़ी रहे होंगे।