सवाल करूंगा
में सवाल करूंगा मगर कोई ताना नही दूंगा
तुम्हे मान जाने का मगर कोई बहाना नही दूंगा
मुझको अपने हालात से भी महरूम करने वाले
में भी अपनी यादों को तेरा आशियाना नही दूंगा
मेरे रूठ जाने से गर तुझे कोई फर्क नहीं पड़ता
सोच लो इश्क में में भी कोई हर्जाना नहीं दूंगा
मुंह फुलाए बैठे हो जरा जरा सी बात पर
देखना में भी अपने होंटो को कोई मुस्कराना नही दूंगा
दिल ही दिया है तुमने बता फिर गुरुर कैसा
दिल के बदले में भी कोई दिल पुराना नही दूंगा
ले जाना चुरा कर चंद प्यार भरी बातें
जो मेरे दिल में छुपा है वो खजाना नही दूंगा
मान जाओ पंजाबियों समीर की इल्तजा को
वरना ना में खाऊंगा तुम्हे खाना नही दूंगा
तुम्हे मनाऊंगा रोज मगर मान जाने का कोई बहाना नही दूंगा