सलीके
बहुत ही सलीके से,
बूरे काम अंजाम,
लोग नहीं थे अंजान
ठोकते रहे सलाम.
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सलीके सलीके में ठन गई.
मुझसे अच्छा कौन,
तौर तरीके है सब मुझसे.
मत खोना पहचान.
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मेरी तारीफ पूर्वाग्रह निदान,
कष्ट जिसके परिणाम,
जिंदा पहले जवाहर किया,
संपत्ति बेच दिया विराम.
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस