सलाम
जो भरी महफिल में आपको सलाम करते हैं,
पीठ पीछे अक्सर वही आपको बदनाम करते हैं।
वो क्या बराबरी करेंगे आपकी किसी भी सूरत में,
जो खुद ढूंढते हैं मुकद्दर को किसी पत्थर की मूरत में,
वो तो पत्थर की मूरत से भी यही अरदास करते हैं,
कब होगी आपकी बर्बादी , सदा यही आस करते हैं,
इसीलिए सम्हल कर रहिए क्योंकि,
जो भरी महफिल में आपको सलाम करते हैं,
पीठ पीछे अक्सर भी आपको बदनाम करते हैं।