सलाम मत करना।
भरी महफ़िल में मुझे सलाम मत करना।
इस तरह से भी मुझे बदनाम मत करना।।
वो राज़ है तुम्हारा छुपा कर रखना उसे।
अब यह मोहब्बत सारे आम मत करना।।
निहारती हैं कुछ निगाहें तेरी तरफ भी।
निकलो घर से तो लौटते शाम मत करना।।
क़ीमत है जुवां की हैसियत से अधिक।
लफ्ज़ो को संभालना यूंही आम मत करना।।
कत्ल कहीं दूर हो और जमाना ढूंढे तुम्हें।
सूरज इतना बड़ा अपना नाम मत करना।।