Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Dec 2020 · 1 min read

— सर झुकाने से क्या होगा —

जब तक मन सच्चा नही
सर झुका के क्या करोगे
विधाता को जो मंजूर है
तुम उस पर ध्यान कब दोगे

भगवान् से मिलना हो तो
मन को झुकाना सीखो
गर्दन की झुका देने से
कभी भगवान् नही मिलते

नत मस्तक होना अच्छा है
पर अभी मन बहुत कच्चा है
करो निर्मल मन को अपने
दीदार इसी ने तो करवाना हैं

इतना आसान कहाँ
उस इध्वर से मिल जाना
साफ़ करो निर्मल करो मन को
उसी ने तो है रास्ता दिखाना

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 193 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
View all
You may also like:
आप किससे प्यार करते हैं?
आप किससे प्यार करते हैं?
Otteri Selvakumar
दिल का दर्द, दिल ही जाने
दिल का दर्द, दिल ही जाने
Surinder blackpen
आस्मां से ज़मीं तक मुहब्बत रहे
आस्मां से ज़मीं तक मुहब्बत रहे
Monika Arora
*रिश्वत ( कुंडलिया )*
*रिश्वत ( कुंडलिया )*
Ravi Prakash
महानगर के पेड़ों की व्यथा
महानगर के पेड़ों की व्यथा
Anil Kumar Mishra
दिल-ए-साकित सज़ा-ए-ज़िंदगी कैसी लगी तुझको
दिल-ए-साकित सज़ा-ए-ज़िंदगी कैसी लगी तुझको
Johnny Ahmed 'क़ैस'
इम्तिहान
इम्तिहान
AJAY AMITABH SUMAN
कौन किसके बिन अधूरा है
कौन किसके बिन अधूरा है
Ram Krishan Rastogi
इस कदर आज के ज़माने में बढ़ गई है ये महगाई।
इस कदर आज के ज़माने में बढ़ गई है ये महगाई।
शेखर सिंह
खिड़कियाँ -- कुछ खुलीं हैं अब भी - कुछ बरसों से बंद हैं
खिड़कियाँ -- कुछ खुलीं हैं अब भी - कुछ बरसों से बंद हैं
Atul "Krishn"
हिंदीग़ज़ल में होता है ऐसा ! +रमेशराज
हिंदीग़ज़ल में होता है ऐसा ! +रमेशराज
कवि रमेशराज
धवल चाँदनी में हरित,
धवल चाँदनी में हरित,
sushil sarna
हक़ीक़त
हक़ीक़त
Shyam Sundar Subramanian
फूल
फूल
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
फूल
फूल
Pt. Brajesh Kumar Nayak
"तू ठहरा सूरज"
Dr. Kishan tandon kranti
फल की इच्छा रखने फूल नहीं तोड़ा करते.
फल की इच्छा रखने फूल नहीं तोड़ा करते.
Piyush Goel
किताब का दर्द
किताब का दर्द
Dr. Man Mohan Krishna
डर होता है
डर होता है
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
गिरता है धीरे धीरे इंसान
गिरता है धीरे धीरे इंसान
Sanjay ' शून्य'
" मुशाफिर हूँ "
Pushpraj Anant
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
"वृद्धाश्रम"
Radhakishan R. Mundhra
मानव हमारी आगोश में ही पलते हैं,
मानव हमारी आगोश में ही पलते हैं,
Ashok Sharma
राजनीति और वोट
राजनीति और वोट
Kumud Srivastava
राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस...
राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस...
डॉ.सीमा अग्रवाल
3152.*पूर्णिका*
3152.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
होठों को रख कर मौन
होठों को रख कर मौन
हिमांशु Kulshrestha
Dr. Arun Kumar shastri
Dr. Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
■ एक शेर में जीवन दर्शन।
■ एक शेर में जीवन दर्शन।
*प्रणय प्रभात*
Loading...