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29 Jun 2024 · 1 min read

“सर्व धर्म समभाव”

प्रीत न जानै जात-पाँत, नहिं पन्थ, प्रथा नहिं कोई,
“सर्व धर्म समभाव” भावना अमर, काहि मन खोई।

पीर उठी मन, जानि जेहि की आँख जिया भरि रोई,
कहि गए “आशादास”, बात है साँच, सखा है सोई..!

Language: Hindi
3 Likes · 3 Comments · 25 Views
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