सर्वगामी सवैया
सर्वगामी सवैया- सवैया छंद के इस भेद में कुल तेइस वर्ण होते हैं। इसमें सात तगण ( ऽऽ।) और दो गुरु वर्णों ( ऽऽ) का प्रयोग चरणांत में किया जाता है। इस छंद में 11-12 वर्णों पर यति का प्रयोग उत्तम माना जाता है।
सूत्र- (तगण ×7+ गुरु गुरु)
जाते नहीं जो कभी दूर देखो ,वही लोग होते नहीं साथ मेरे।
संसार साथी किसी का नहीं है ,यहाँ भोग चाहें सभी हाथ घेरे।
साथी बने थे उन्हें खूब खोजा ,मिले कष्ट में वे नहीं माथ हेरे।
आओ बचा लो यशोदा दुलारे ,सदा भक्त बैठा तुम्हें नाथ टेरे।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय