सर्वगामी / अग्सरवैया
🙏
!! श्रीं !!
सुप्रभात !
जय श्री राधेकृष्ण !
शुभ हो आज का दिन !
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सर्वगामी/अग्र सवैया
(7 तगण+ 2 गुरु)
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माता-पिता पालते-पोषते ठोस संतान को योग्य वे हैं बनाते ।
देखा नहीं है कभी ईश को हैं वही ईश संसार में ये बताते ।।
ये जो हमें आज बाने मिले कर्म के भोग से बंधनों से बचाते ।
क्यों जन्म पाते नहीं जानते जिंदगी बीत जाती पहेली बुझाते ।।
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राधे…राधे…!
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
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