सर्द सा मौसम है धूप फिर से गुनगुनाई है,
सर्द सा मौसम है धूप फिर से गुनगुनाई है,
गुलाब की खुशबू हवाओं में बिखर आई है
अजब सी बेबसी है बस अजब सी तन्हाई है,
बीते दिनों की यादें फिर मेहमान बन आई है
©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”
सर्द सा मौसम है धूप फिर से गुनगुनाई है,
गुलाब की खुशबू हवाओं में बिखर आई है
अजब सी बेबसी है बस अजब सी तन्हाई है,
बीते दिनों की यादें फिर मेहमान बन आई है
©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”