सर्द रातों में समन्दर, एक तपन का अहसास है।
सर्द रातों में समन्दर, एक तपन का अहसास है।
मानो अपने दिल समेटे, इक अनबुझी सी प्यास है।
मानो किनारों को चूमता, पत्थरों की ओट में।
जैसे हो किनारों को सींचता, अपनी लहरों की चोट से।
श्याम सांवरा…
सर्द रातों में समन्दर, एक तपन का अहसास है।
मानो अपने दिल समेटे, इक अनबुझी सी प्यास है।
मानो किनारों को चूमता, पत्थरों की ओट में।
जैसे हो किनारों को सींचता, अपनी लहरों की चोट से।
श्याम सांवरा…