सर्दी मैया बहुत भली
सर्दी मैया बहुत भली (बाल गीत)
सर्दी मैया बहुत भली, हर साल जो आती हो
नए साल का स्वागत करती, दौड़ी आती हो !
तुम बाहर वृक्षों पर लटकी, जब मुस्काती हो
हम आग ताप कर घर के अंदर तुम्हें डराते हैं
सुबह-शाम बन धुंध व कोहरा, पसरी रहती हो
तब हम स्वेटर-जैकेट पहने, तुम्हें भगाते हैं।
सर्दी मैया बहुत भली……..
हम बच्चे खेले छुपा-छुपौवल, तुम भी खेलती हो
रजाई में हम छिप जाते, तुम ढूंढती रहती हो
जब थोड़ी हम सुस्ताते, तब दौड़ लगाती हो
तुम हमें डराती हो, हम तुम्हें डराते हैं ।
सर्दी मैया बहुत भली……..
दोपहर में चलाते साइकिल, तुम क्या कर लेती हो ?
छत पर शाम क्रिकेट खेलते, तब आंसू टपकाती हो
जब सुबह खेलें बैडमिंटन, तब भी तुम रोती हो
हमें पता है तेरी दवाई, कैसे तुम भागती हो !
सर्दी मैया बहुत भली……….
कोहरे का तूं मजा चखाती, सूरज को छिपाती हो धौंस जमाती आसमान में, पसरी रहती हो
तान के चादर कोहरे की, चंदा को सुलाती हो
घर-घर में घुस जाती हो, नाक बजाती हो।
सर्दी मैया बहुत भली…………
पढ़ना लिखना गोली मारो, छुट्टी करवाती हो
विद्यालय के काम से छुट्टी, जब तुम आती हो
खेल-खिलाड़ी सबसे अच्छा, जब तक रहती हो
पर काम बुरा है सड़कों पर, दुर्घटना करवाती हो।
सर्दी मैया बहुत भली…………..
गांव-शहर में धुआं-धुआं, तुम आग तपाती हो
खड़ी-खड़ी तुम जहां-तहां, लकड़ी जलवाती हो
एक बुराई तुझमें बड़ी, कूड़े जलवाती हो विविध रोगों की जननी बनती, प्रदूषण फैलाती हो।
सर्दी मैया बहुत भली, हर साल जो आती हो
नए साल का स्वागत करती, दौड़ी आती हो !
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–राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, मौलिक/स्वरचित।