*सर्दी (बाल कविता)*
सर्दी (बाल कविता)
____________________
सर्दी में सब कुछ सिकुड़ा है
पाजामा भी मुड़ा-तुड़ा है
टोपा मफलर स्वेटर चलते
दिन छोटे हैं जल्दी ढलते
अंगीठी की आग सुहाती
कंबल ढक मुनिया सो जाती
———————————
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451