सर्दी के दिन(15)
15
फिर से सर्दी के दिन आये
दिनकर जी थर थर थर्राये
बैठ गये बादल में छिपकर
कोहरा भी घिर आया जमकर
सड़कें भी देखो ठिठुराई
भीड़ नज़र कम उनको आई
दांत लगे हैं सबके बजने
और अलाव लगे हैं जलने
तलब चाय की खूब बढ़ाई
मम्मी की तो आफत आई
पर पापा को दफ्तर जाना
उनको भी है लंच बनाना
मैडम जी का मैसिज आया
छुट्टी का सन्देशा लाया
बच्चों के खिल आये चेहरे
मगर लगे मम्मी के पहरे
बोलीं बैठो ओढ़ रजाई
और करो चुपचाप पढ़ाई
18-12-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद