सर्दियो की शादी मे महिलाओ का मजाक बनाना कितना उचित हैं ?
तो हम बात करते है महिलाओ की कि सर्दियो मे होने वाली शादी मे जाते वक़्त उन्हे ठंड क्यू नही लगती l
मसला ये है की पुरूष तो कोट मोजे जूतो मे शादी मे जाते है परंतु महिलाये इस सर्दी मे स्लीवलेस ड्रेस भी पहन लेती है क्या उनको ठंड नही लगती l
उनको ठंड क्यू लगेगी क्यूकि हमने ही तो महिलाओ को ऐसा बना दिया है की उनको ज्यादा अंतर समझ नही आता फिर हम मतलब समाज के कुछ लोग कहते है महिलाये fashion करती है वो अपनी ड्रेस दिखाती है l
महिलाये सुबह उठकर ठंड मे नहाकर सबके लिए गरम गरम चाय बनाती है तब कोई नही कहता की क्या तुम्हे ठंड नही लगती l
जब गर्मी मे रसोई घर मे महिलाये खाना पकाती है तब कोई नही कहता की पसीने मे हो जाती हो खाना मत बनाया करो उस जगह तो फैन भी नही चला सकते गर्मियो मे सबसे ज्यादा गरम जगह रसोई घर ही होता है l
तो महिलाये इस तरह से ढ़ाली गई है समाज के द्वारा जैसे उनको कभी कोई फर्क नही पड़ता चाहे सर्दी हो य़ा गर्मी और फिर यही समाज कहता की महिलाये शादी मे fashion के चक्कर मे रहती है
एक मध्यमवर्गीय परिवार मे महिलाओ को बहुत कम अवसर मिलते है की वो अपने खरीदे हुए महगे सुन्दर कपडो को पहन सके अब ऐसे मे वो अपनी ड्रेस पर शाल य़ा कोट ले तो फिर तो गलत होगा ना क्यूकि समाज के अनुसार तो महिलाओ पर मौसम का कोई फर्क नही पड़ता l
तो क्या वो अपनी ख़ुशी के लिए अपने हिसाब से fashion भी नही कर सकती l
90 प्रतिशत महिलाओ को सुन्दर दिखना पसंद है सज धज कर कही जाना पसंद है पर नही समाज को हर जगह बिना मतलब की टीका टिप्पडी करनी होती है l
आशा है आप समझ गए होंगे की महिलाओ को सर्दी मे होने वाली शादी मे ठंड क्यू नही लगती है और अभी भी नही समझे हो तो इस सर्द सुबह मे उठकर एक कप चाय खुद बनाकर पिजिए और विचार कीजिए……(सुरभी भारती , छिंदवाड़ा )