” सर्कस सदाबहार “
” सर्कस सदाबहार ”
बचपन से ही देखते देखते बड़े हुए सब
कहते हैं इसको सभी सर्कस सदाबहार
मनोरंजन का पिटारा है सबके लिए ये
विभिन्न इसमें करतब दिखाए कलाकार,
छोटे बड़े जोकर की मस्ती भरी है यहां
उछल कूद कर सबके मन को बहलाता
कलाकार कोई हथेली पर जान रखकर
मौत का कुआ खतरनाक स्टंट दिखाता,
रस्सी पर चढ़ जाता कोई एक झटके में
कोई लेटकर मोटर साइकिल को उठाता
जानवर करते चहल कदमी कलाकार संग
रिंग मास्टर तभी उनको सिटी पर नचाता,
जिमनास्ट ज्यों हवा में लहराता है कोई तो
सूक्ष्म साईकिल पर कोई हुनर आजमाता
आग के गोलों से खेलता है कोई ख़ुशी से
दर्द को अंदर दबा कलाकार हमें हंसाता।